रविवार, जनवरी 2

कविता : मिट्ठू राम

मिट्ठू राम 
करता नहीं जरा सा काम,
कुतर-कुतर कर खाता है...
सुबह से हो जाती है शाम,
मेरा प्यारा मिट्ठू राम...
लेखक : समीरन खातून 
अपना स्कूल

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