सोमवार, दिसंबर 26

एक लघुकथा - विनती

साढ़े छह साल की उम्र में होटल में काठ की टेबल पर पोछा लगाने के काम से अपना कैरियर शरू किया. कुछ समय बाद ग्राहकों के गिलास पकड़ने लगा, फिर उनके आगे सलीके से प्लेट भी रखने लगा. शुरू में उसे थोड़े सिक्के मिलते थे बाद में कागज के नोट मिलने लगा. उसका मालिक उसपर एतबार जरा कम करता था. यह दुकान में आने-जाने वालों का विशेष ख्याल रखने लगा. फटाफट आर्डर लेना, उसे पूरा करना तथा ग्राहकों का बिल मालिक को बताने लगा, जिसके कारण लेन-देन में पहले से सुविधा हो गयी. बाल-दिवस से एक दिन पहले टेबल पर पोछा लगाते हुए शानदार पोज में कोई फोटोग्राफर एक क्लिक के साथ उसका फोटो उड़ा ले गया. धुल-गरदा फांक रही कई राजनैतिक पार्टियों और राजनेताओं में नई जा आ गयी. संसद और विधानसभा में भारी हंगामा हुआ. विपक्षी पार्टियाँ अपनी जगह कायम रही. काम ठप रहा. आकडेबाजों ने करोड़ों का नुकशान बताया. राजनैतिक पंडितों ने देश की मौजूदा हालत पर गंभीर चिंता प्रकट की. सरकार से लेकर अखबार तक कई दिनों तक इस मुद्दे पर हायतौबा मची रही. फिर धीरे-धीरे सब शांत पड़ गया.

वह दिन भर होटल में जूठे-प्लेट्स और पोंछा के काम में बिजी रहता. देर शाम को मालिक से कल सुबह जल्दी आने की बात कहकर तेजी से घर की रह पकड़ लेता. घर पहुँचाने से पहले रास्ते में सोचता जाता कि मालिक को अच्छे मूड में देखकर अपने छोटे भाई को होटल में काम पर रखने के लिए विनती करूँगा.

---- अनुग्रह नारायण ओझा, बिहार


शनिवार, दिसंबर 24

73 करोड़ का हवाई जहाज

तीनो बच्चे भूख से बेचैन होकर रोते-रोते सो गए थे. उनकी माँ माथा पकडे बैठी थी. तभी उनका बाप झोपड़ें में दाखिल हुआ.
पति को आया देखकर वह बोली ,"निखट्टू, आज फिर खाली हाथ आ गया" और उसने खाली पतीली घुस्से से उसकी तरफ उछाल दी.
यह उसी समय की बात है जब मुखेश अंबानी ने अपनी पत्नी को 73  करोड़ का हवाई जहाज तोहफे में दिया था......

लेखक - अशोक भाटिया, हरियाणा

बुधवार, नवंबर 30

कविता - अपने देश के नेता...

अपने देश के नेता...

है अपने देश के नेता ऐसे।
देखो खाते जनता का पैसे॥
घोटाले ये खूब है करते।
नहीं किसी से अब ये डरते॥
अरबो का है किया घोटाला।
जनता को भूखो मार डाला॥
नेता मिलकर करे पैसो का हाजमा।
स्विस बैंक में करते सारा पैसा जमा॥
अगर ये सारा पैसा वापस जाये।
देश की जनता माला-माल हो जाये॥
नेताओं की अब तो मिलकर करो दवाई
भ्रष्ट है जो भी नेता उनकी करो सफाई
है अपने देश के नेता ऐसे।
देखो खाते जनता का पैसे

लेख़क: सागर कुमार, कक्षा ७, अपना घर

शुक्रवार, नवंबर 25

एक छोटी सी कहानी

दो व्यक्ति एक नाव पर सवार थे.  उनमें से एक अचानक नाव पर पड़ी खुदाल लेकर नाव में छेद करने लगा. दुसरे ने उसे टोका - " अरे यह क्या कर रहे हो ? ". नाव खोद रहे व्यक्ति ने गुस्से से कहा - " अपनी साइड में छेद कर रहा हु, तुमसे क्या मतलब ".
ये कहानी मैंने दानिक जागरण में पढ़ी थी.... 

बुधवार, नवंबर 16

याद आते है वो दिन.......


 
याद आता है वो दिन जब हम सब भी ऐसा ही कुछ किया करते थे, और अब कहते है की क्या यार सुई से डरते हो......

मंगलवार, नवंबर 8

मेरी कविता - छोटा बच्चा

अभी तो हूँ एक  छोटा बच्चा, 
लक्ष्य मगर है मेरा अच्छा...
पढ़ लिख कर अच्छा इंसान बनूँ ,
अपने देश के काम आऊ...
-- मैदुल  
अपना स्कूल
पनकी पड़ाव

बुधवार, अक्तूबर 26

दीपावली की शुभकामनाये

सभी साथियों और उनके पूरे परिवार को "बचपन के रंग" परिवार की तरफ से दीपावली की शुभकामनाये. यह दीपावली आप सभी के जीवन में नई खुशियाँ लाये.....
हमारी यही कमाना है........

सोमवार, अक्तूबर 24

मेरी कविता : लाल टमाटर

गोल गोल ये लाल टमाटर,
होते जैसे गाल टमाटर...
खून बढ़ता लाल टमाटर,
फुर्ती लाता लाल टमाटर...
हम खायेंगे लाल टमाटर,
बन जायेंगे लाल टमाटर...
-- सालेह 
अपना स्कूल
पनकी पड़ाव   

मंगलवार, अक्तूबर 18

सही जवाब न तो मेरे दोस्त के पास था और न ही मेरे पास..............

आज मै कानपुर के एक चौराहे से गुजर रहा था, तभी अचानक मैंने देखा एक आदमी जो शायद दिमाकी रूप से कुछ सोचने समझने में आसमर्थ था, वो सड़क से नीचे उतरा और एक गंदे नाले, जिसमे बस्ती का गन्दा पानी आता था उसके बीच में में खड़ा हो गया. मै सोचने लगा की ये करने क्या जा रहा है. तभी मैंने देखा की उसने दोनों हाथ को जोड़ कर उसमे पानी लिया और पीने लगा. मै यह सब देख रहा था और शायद कुछ सोच रहा था. तभी मेरे साथ जो मेरे दोस्त थे कहने लगे " बेचारा पागल है इसलिए गन्दा पानी पी रहा है". मैंने उनसे कहा शायद उसको कही पीने लायक पानी नहीं मिला, या फिर उसे कही पिने लायक पानी मिला तो उसे किसी ने पानी पीने न दिया हो.............

पर इसका सही जवाब न तो मेरे दोस्त के पास था और न ही मेरे पास............................

बुधवार, अक्तूबर 12

अब छुट्टी नहीं चाहिए

साहब मेरा लड़का बहुत बीमार है. एक दिन की छुट्टी दे दो कल शनिवार है. रविवार की शाम को मै वापस आ जाऊंगा. ड्राइवर चेतराम ए.डी.एम. के सामने गिडगिडा रहा था. साहब ने कहा "माना कल शनिवार है, पर अचानक कोई काम आ गया तो मै क्या करूँगा? छुट्टी किसी भी हालत में नहीं मिल सकती. और हाँ आज यहाँ बंगले में ही रात में सोना. रात में कहीं भी आपातकालीन दौरे पर जाना पड़ सकता है. "

चेतराम ने कोई प्रतिवाद नहीं किया. शनिवार, रविवार बीता. सोमवार को बड़ी उदासी से ड्यूटी पर हाज़िर हुआ.

तब तक चपरासी ने साहब को बता दिया था, की चेतराम का लड़का आज नहीं रहा. चेतराम को देखते ही साहब ने कहा "चेतराम तुम घर जा सकते हो. तुम्हारी छुट्टी मंजूर की जाती है."

चेतराम ने आहात स्वर में कहा "साहब मेरे बीमार बेटे को जिन लोगों ने अस्पताल पहुँचाया था, वे उसकी लाश को श्मशान तक भी पहुंचा देंगे. अब मुझे छुट्टी नहीं चाहिए."

----- डॉ. राम प्रकाश
......ये लघु कथा मैंने हंस पत्रिका से ली है.

रविवार, अक्तूबर 9

मेरी कविता

रामू बाज़ार से आया,
पूछो पूछो क्या क्या लाया....
आलू, टमाटर, गोभी, गाजर,
आओ-आओ सब मिलकर खाओ...

--- अपना स्कूल का बालक

सोमवार, सितंबर 19

कविता - मेरी कमीज़

मेरे पास एक कमीज़ है,
उसमे सितारे लगे हुए है...
सितारे बहुत चमकीले है,
हरे, नीले, पीले है...

                                       ........शालेहा
                                            अपना स्कूल पनकी पड़ाव.

शुक्रवार, अगस्त 26

गुरुवार, अगस्त 18

अन्ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ है.....

अन्ना के समर्थन में कल शाम 6:30 बजे नानकारी प्रधान गेट से आई आई टी कानपुर के मुख्य गेट तक  रैली का आयोजन किया गया.....