बचपन के रंग
बचपन के रंग में हम अपनी बातों, अपनी कोशिश और अपने विचारों को रख कर आप तक पहुँचाना चाहते है.
शुक्रवार, जनवरी 7
हमारा समाज
हमारा समाज
भाषण की है खेतियाँ
कागज पे उगता अनाज
डकैती
, मरण, अपहरण
अपने हैं रस्मो रिवाज
कोढ में खाज
हमारा समाज
हमारा समाज
........ये पंकितियाँ मैंने "यह अंदर की बात" नामक पुस्तक से ली है।
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