रविवार, अक्तूबर 31

कविता: चारो चोर गए सुधर

चारो चोर गए सुधर
एक गाँव में चार थे चोर।
रोज पकड़ते थे वे मोर॥
एक चोर पकड़ गया थाने में।
तीन गिर गए नाले में॥
नाले में भर गया था पानी।
चोरों की हो गई बदनामी॥
छोड़ी चारों ने बईमानी।
ख़त्म हुई उनकी शैतानी॥
चारो अब तो गए सुधर।
भाग के पहुँचे अपने घर॥
खेत में करने लगे वे काम।
गाँव में हुआ फ़िर उनका नाम॥
ख़त्म हुई उनकी बदनामी।
यही है चार चोरो की कहानी

लेखक : ज्ञान कुमार

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