बाढ़ के प्रभाव से ,
संसार के हर गाँव में ....
लोग हुये परेशान,
डूब गये उनके घर द्वार....
उसमे से कुछ डूब गये
उन्ही में कुछ बचे....
जो बचे वो हो गये बेघर,
जो बचे तो घूम रहे....
उनको लोग देख रहे,
जहाजो से कुछ खाने को पंहुचा रहे ....
वे पैकटो को ऊपर से लोक रहे,
लोकने में कुछ कुचल गये
कुचल कर वही मार गये
क्या होगा उनका.....
क्या मिलेगा उन्हें मुआवजा .....
लेख़क : अशोक कुमार
अच्छी रचना , बधाई !
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