रविवार, अक्तूबर 31

कविता: कंप्यूटर भाई

कंप्यूटर भाई

कंप्यूटर भाई कंप्यूटर भाई
तुम क्यो होतो हो हमसे गुस्सा॥
गुस्सा तुमको अब नही करना है।
हमारा काम अब तुमको करना है॥
कंप्यूटर भाई कंप्यूटर भाई।
तुम कहाँ चले गए
बिजली गई तो तुम भी गए
मेरा काम अधूरा छोड़ गए
तुम्हारे सहारे सब काम चल रहा है।
तुम ही हो मेरे काम के साथी॥
अब साथ- साथ तुम्हे रहना है
अब मेरा काम भी करना है॥
कंप्यूटर भाई कंप्यूटर भाई।
तुम क्यो होतो हो हमसे गुस्सा

लेखक : सागर कुमार

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