बचपन के रंग
बचपन के रंग में हम अपनी बातों, अपनी कोशिश और अपने विचारों को रख कर आप तक पहुँचाना चाहते है.
शुक्रवार, अक्तूबर 15
कविता : हाथी
हाथी
हाथी पों पों करता है
कभी किसी की नहीं सुनता है
अपनी धुन में चलता है
खूब मजे से रहता है
हाथी पों पों करता है
कान उसके बड़े बड़े
सूप जैसे कितने अच्छे
हाथी
है कितने अच्छे
उसके दांत है लंबे लंबे कविता
मानस
अपना घर, कक्षा ५
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