शुक्रवार, नवंबर 19

कविता: चूहे राजा की रानी

चूहे राजा की रानी


एक चूहे की तीन रानी,
तीनों रानी बड़ी सयानी ...
एक थी कानी पर कोयल जैसी बाणी,
बाते करती ऐसी जैसी सबकी हो नानी...
एक थी लगडी सर पर डाले पगड़ी,
हट्टी -कट्टी और थी मोटी तगड़ी...
एक थी सीधी -साधी प्यारी सी,
राजा को लगती राजकुमारी सी...
दोनों रानी इस बात से चिढ़ती थी,
राज के कान को भरती थी...
एक दिन दोनों राजा के उपर गिर गई,
राजा की पूछ उनके वजन से दब गई...
कानी लगडी का वजन था ज्यादा,
चूहे राजा को याद आ गए दादा ...
दर्द ने राजा के गुस्से को भड़काया,
राजा ने रानी को घर से मार भगाया...
लेखक: आदित्य कुमार

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