शनिवार, नवंबर 13

कविता: खाई गधे की लात

खाई गधे की लात


एक लड़का जिसका नाम था सोहन,
वो दिन रात करता था आलसीपन...
कुछ दिन बाद आया जाड़ा,
खूब याद किया उसने पहाड़ा...
एक दिन घर में बैठा वो अन्दर,
अपनी जेब में रखे चुकंदर...
जमके उसने चुकंदर खाया,
दायें बाएं जो भी पाया....
चुकंदर में थे बड़े- बड़े कीड़े,
सोहन के पेट में पड़ गए कीड़े....
सोहन फ़िर तो चला बाज़ार,
गधे पर हुआ जमके सवार....
अक्ल से था वो निपट गंवार,
बिन के लगाम के हुआ सवार....
गधे ने फ़िर मारी लात ,
सोहन ने खाई चार गुलाट....
लेखक: मुकेश कुमार

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