गुरु जी की मार
गुरु जी हमारे कितने प्यारे,
हरदम पाठ पढाते प्यारे...
हम भी पढ़ते जाते सारे,
याद न हमको होते प्यारे...
कक्षा में जब गुरु जी बोले,
पाठ सुनाओ बेटा भोले...
हम तो भइया गए भूल,
सोचा क्यो आए स्कूल...
गुरु जी को गुस्सा आया,
खूब पड़े फ़िर मुझको रूल...
याद आ गई मेरी नानी,
ख़त्म हुई अब मेरी कहानी...
लेखक :चंदन कुमार
आज कल कहाँ पिटाई होती है ...अच्छी कविता
जवाब देंहटाएं