सोमवार, अक्तूबर 24

मेरी कविता : लाल टमाटर

गोल गोल ये लाल टमाटर,
होते जैसे गाल टमाटर...
खून बढ़ता लाल टमाटर,
फुर्ती लाता लाल टमाटर...
हम खायेंगे लाल टमाटर,
बन जायेंगे लाल टमाटर...
-- सालेह 
अपना स्कूल
पनकी पड़ाव   

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