बुधवार, अक्तूबर 23

करवा चौथ का व्रत

करवा चौथ का व्रत, पिछले साल मै गाँव में था। मेरे गाँव में भी कुछ औरतों ने व्रत रखा। मुझे देखकर बड़ा अजीब लगा की गाँव में ऐसा क्या हो गया की गाँव की इतनी महिलाएं ये व्रत रखने लगी, पहले तो इस व्रत का नामो निशान नहीं था मेरे गाँव के आस-पास। मैंने लोगों से पता करने की कोशिश की तो लगभग निकल कर आया की टेलीविज़न में देखकर महिलाएं ये व्रत रख रही है।

कोई बात नहीं मैंने सोचा चलो पता किया जाये की आखिर उस व्रत की शुरुवात कैसे हुए। मुझे जो पता चला आपसे बता रहा हूँ।

दीपावली पर लक्ष्मी जी को धरती पर आना होता है, लक्ष्मी जी अपनी सवारी उल्लू पर बैठ कर आती थी और दीपावली के दूसरे दिन वापस जाती थी। एक बार उल्लू ने दीपावली के दिन धरती पर जाने से मना कर दिया। जब लक्ष्मी जी के कारण पूछा तो उल्लू ने कहा की आप तो धरती पर जाकर मौज करती हैं, लोग आपकी पूजा करते है और आपको तरह तरह के पकवान खिलाते है आप तो खुश रहती हो, लेकिन लोग मुझे देखते ही गाली देते है, मारते है, जो कुछ सीधे होते है वह भी अपना मुहं दूसरी तरफ घुमा लेते है। मुझे बहुत ख़राब लगता है और मेरी बहुत बेज्जती होती है। किसी तरह में छुप-छुपाकर धरती पर रहता हूँ, इसलिए मै धरती पर नहीं जाऊंगा। लक्ष्मी जी ने उल्लू को बहुत मनाया पर उल्लू नहीं माना। आखिर मै लक्ष्मी जी ने हार मानकर उल्लू को एक वरदान दिया और कहा की इस साल से दीपावली के 11 दिन पहले तुम्हारी पूजा की जाएगी और उस दिन तुमको भगवान के बराबर का दर्ज दिया जायेगा। उल्लू खुश हो गया लक्ष्मी जी को धरती पर ले आया। उस साल से आज तक लगातर यह पूजा चल रही है और आज भी उल्लू ख़ुशी ख़ुशी लक्ष्मी जी को ढोने का काम कर रहा है।

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