रामलीला
आज
भी रामलीला का मंचन करने वालों को एक बात का सकून होगा कि देश के नेता को
वोट मिले न मिले, जनता को राशन मिले न मिले, नहर को पानी मिले न मिले,
किसान को खाद बीज मिले न मिले, मजदूर को मजदूरी मिले न मिले, बच्चों को
किताबें मिले न मिले पर रामलीला का मंचन करने वालों को दर्शक हर साल भरपूर
मिल ही जाते है।
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