शनिवार, अक्तूबर 12

रामलीला

आज भी रामलीला का मंचन करने वालों को एक बात का सकून होगा कि देश के नेता को वोट मिले न मिले, जनता को राशन मिले न मिले, नहर को पानी मिले न मिले, किसान को खाद बीज मिले न मिले, मजदूर को मजदूरी मिले न मिले, बच्चों को किताबें मिले न मिले पर रामलीला का मंचन करने वालों को दर्शक हर साल भरपूर मिल ही जाते है।


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