शुक्रवार, अप्रैल 27

स्रष्टि बीज कहा नाश नाश न हो हर मौसम की तयारी है,

स्रष्टि बीज कहा नाश नाश न हो हर मौसम की तयारी है,
कल का गीत लिए होठो पर, आज लड़ाई जारी है।
आज लड़ाई जारी है................

हर आगन का बुढा सूरज, परचम परचम दहक उठा,
काल सिंधु के ज्वार परिश्रम, के फूलो से महक उठा।
नाश और निर्माण जवानी की निश्छल किलकारी है,
कल का गीत लिए होठों पर आज लड़ाई जारी है।
आज लड़ाई जारी है................


स्रष्टि बीज कहा नाश नाश न हो हर मौसम की तयारी है,
कल का गीत लिए होठो पर, आज लड़ाई जारी है।
आज लड़ाई जारी है................


जंजीरों से शुब्ध युगों तक प्रणय गीत से रणभेरी ,
मुक्ति प्रिया की पग ध्वनी लेकर घर घर लगा रही फेरी।
हेर नारे में महाकाव्य के स्राजन्कर्म की बारी है,
कल का गीत लिए होठो पर, आज लड़ाई जारी है।
आज लड़ाई जारी है................


स्रष्टि बीज कहा नाश नाश न हो हर मौसम की तयारी है,
कल का गीत लिए होठो पर, आज लड़ाई जारी है।
आज लड़ाई जारी है................
.....महेशवर
संकलन: समर तो शेष है....

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