सभी साथियों और उनके पूरे परिवार को "बचपन के रंग" परिवार की तरफ से दीपावली की शुभकामनाये. यह दीपावली आप सभी के जीवन में नई खुशियाँ लाये.....
हमारी यही कमाना है........बचपन के रंग में हम अपनी बातों, अपनी कोशिश और अपने विचारों को रख कर आप तक पहुँचाना चाहते है.
बुधवार, अक्टूबर 26
सोमवार, अक्टूबर 24
मेरी कविता : लाल टमाटर
गोल गोल ये लाल टमाटर,
होते जैसे गाल टमाटर...
खून बढ़ता लाल टमाटर,
फुर्ती लाता लाल टमाटर...
हम खायेंगे लाल टमाटर,
बन जायेंगे लाल टमाटर...
-- सालेह
अपना स्कूल
पनकी पड़ाव
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रविवार, अक्टूबर 23
मेरा चित्र
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मंगलवार, अक्टूबर 18
सही जवाब न तो मेरे दोस्त के पास था और न ही मेरे पास..............
आज मै कानपुर के एक चौराहे से गुजर रहा था, तभी अचानक मैंने देखा एक आदमी जो शायद दिमाकी रूप से कुछ सोचने समझने में आसमर्थ था, वो सड़क से नीचे उतरा और एक गंदे नाले, जिसमे बस्ती का गन्दा पानी आता था उसके बीच में में खड़ा हो गया. मै सोचने लगा की ये करने क्या जा रहा है. तभी मैंने देखा की उसने दोनों हाथ को जोड़ कर उसमे पानी लिया और पीने लगा. मै यह सब देख रहा था और शायद कुछ सोच रहा था. तभी मेरे साथ जो मेरे दोस्त थे कहने लगे " बेचारा पागल है इसलिए गन्दा पानी पी रहा है". मैंने उनसे कहा शायद उसको कही पीने लायक पानी नहीं मिला, या फिर उसे कही पिने लायक पानी मिला तो उसे किसी ने पानी पीने न दिया हो.............
पर इसका सही जवाब न तो मेरे दोस्त के पास था और न ही मेरे पास...........................
बुधवार, अक्टूबर 12
अब छुट्टी नहीं चाहिए
साहब मेरा लड़का बहुत बीमार है. एक दिन की छुट्टी दे दो कल शनिवार है. रविवार की शाम को मै वापस आ जाऊंगा. ड्राइवर चेतराम ए.डी.एम. के सामने गिडगिडा रहा था. साहब ने कहा "माना कल शनिवार है, पर अचानक कोई काम आ गया तो मै क्या करूँगा? छुट्टी किसी भी हालत में नहीं मिल सकती. और हाँ आज यहाँ बंगले में ही रात में सोना. रात में कहीं भी आपातकालीन दौरे पर जाना पड़ सकता है. "
चेतराम ने कोई प्रतिवाद नहीं किया. शनिवार, रविवार बीता. सोमवार को बड़ी उदासी से ड्यूटी पर हाज़िर हुआ.
तब तक चपरासी ने साहब को बता दिया था, की चेतराम का लड़का आज नहीं रहा. चेतराम को देखते ही साहब ने कहा "चेतराम तुम घर जा सकते हो. तुम्हारी छुट्टी मंजूर की जाती है."
चेतराम ने आहात स्वर में कहा "साहब मेरे बीमार बेटे को जिन लोगों ने अस्पताल पहुँचाया था, वे उसकी लाश को श्मशान तक भी पहुंचा देंगे. अब मुझे छुट्टी नहीं चाहिए."
----- डॉ. राम प्रकाश
......ये लघु कथा मैंने हंस पत्रिका से ली है.
रविवार, अक्टूबर 9
मेरी कविता
रामू बाज़ार से आया,
पूछो पूछो क्या क्या लाया....
आलू, टमाटर, गोभी, गाजर,
आओ-आओ सब मिलकर खाओ...
--- अपना स्कूल का बालक
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बुधवार, अक्टूबर 5
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