गुरुवार, अगस्त 11

लुटने वालों, तुम लुटते रहो...

लुटने वालों, तुम लुटते रहो,
हम तो चुपचाप सब देखेंगे...
तुम से ही ये देश चल रहा है,
तुम पर ही ये अर्थव्यस्था टिकी है.....
पर अरे ये क्या हुआ कुछ लूटने वाले पकडे गए,
कुछ गड़बड़ी पकड़ी गयी...
अरे - अरे देखो देश की अर्थव्यस्था गिर रही है,
देश का विकास तो रुक सा ही गया...
सत्यानाश हो इन लूटने वालों को पकड़ने वालों का,
देश को पीछे धकेलने वालों का....

...दीन दयाल सिंह

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