साहब मेरा लड़का बहुत बीमार है. एक दिन की छुट्टी दे दो कल शनिवार है. रविवार की शाम को मै वापस आ जाऊंगा. ड्राइवर चेतराम ए.डी.एम. के सामने गिडगिडा रहा था. साहब ने कहा "माना कल शनिवार है, पर अचानक कोई काम आ गया तो मै क्या करूँगा? छुट्टी किसी भी हालत में नहीं मिल सकती. और हाँ आज यहाँ बंगले में ही रात में सोना. रात में कहीं भी आपातकालीन दौरे पर जाना पड़ सकता है. "
चेतराम ने कोई प्रतिवाद नहीं किया. शनिवार, रविवार बीता. सोमवार को बड़ी उदासी से ड्यूटी पर हाज़िर हुआ.
तब तक चपरासी ने साहब को बता दिया था, की चेतराम का लड़का आज नहीं रहा. चेतराम को देखते ही साहब ने कहा "चेतराम तुम घर जा सकते हो. तुम्हारी छुट्टी मंजूर की जाती है."
चेतराम ने आहात स्वर में कहा "साहब मेरे बीमार बेटे को जिन लोगों ने अस्पताल पहुँचाया था, वे उसकी लाश को श्मशान तक भी पहुंचा देंगे. अब मुझे छुट्टी नहीं चाहिए."
----- डॉ. राम प्रकाश
......ये लघु कथा मैंने हंस पत्रिका से ली है.
ऐसे संवेदनहीन इंसान को इंसान कहलाना इंसानों की तौहीन है.
जवाब देंहटाएंबेहद संवेदनशील प्रस्तुति ..