पूरे साल मेरे गणतंत्र में...
मजदूरों को उनका पैसा नहीं मिला...
मजदूरों का लूटा और मारा गया ...
किसान के लिए कुछ नहीं था....
किसान और उसके खेत तंत्र से उम्मीद लगाकर मरे....
लड़कियों की इज्ज़त लूटी गई.....
आदिवासियों को उजाडा और लड़ाया गया....
उनकी औरतों और बच्चों के साथ बलात्कार हुए....
गरीबों के घर उजाड़ दिए गए....
महंगाई आसमान पर जा पहुंची....
आमीरों को सुविधाएं बढ़ा दी गई....
बहुत कुछ हुआ मेरे इस गणतंत्र में...
समझ नहीं पा रहा हूँ की कैसे इसकी जय करूँ....
और अगर जय नहीं कर पा रहा हूँ तो कैसे इस तंत्र को
मिट्टी में इतना नीचे दबा दू की यह कभी घुटनों के बल भी न आ पाए .....
मजदूरों को उनका पैसा नहीं मिला...
मजदूरों का लूटा और मारा गया ...
किसान के लिए कुछ नहीं था....
किसान और उसके खेत तंत्र से उम्मीद लगाकर मरे....
लड़कियों की इज्ज़त लूटी गई.....
आदिवासियों को उजाडा और लड़ाया गया....
उनकी औरतों और बच्चों के साथ बलात्कार हुए....
गरीबों के घर उजाड़ दिए गए....
महंगाई आसमान पर जा पहुंची....
आमीरों को सुविधाएं बढ़ा दी गई....
बहुत कुछ हुआ मेरे इस गणतंत्र में...
समझ नहीं पा रहा हूँ की कैसे इसकी जय करूँ....
और अगर जय नहीं कर पा रहा हूँ तो कैसे इस तंत्र को
मिट्टी में इतना नीचे दबा दू की यह कभी घुटनों के बल भी न आ पाए .....
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