शनिवार, अक्तूबर 20

कविता - सर्दी आई

मुन्ना जी क्यों काँपे थर-थर,
क्या घर में हुई पिटाई। 
भैया ऐसी बात नहीं है,
मुझे कपकपाती सर्दी है आई। 


----सालेह 
अपना स्कूल
 पनकी पड़ाव 

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